गुजरातमे कच्छ मे 26 जनवरी 2001 को आए भूकंप में कच्छ और आसपासके इलाकेमे हुइ जानहानी के समय काम कर रहे संघकार्यकर्ता और हताहत हुए लोगोको मिलनेमे लिए माननीय शेषाद्रीजीका गुजरातमे प्रवास हुआ। इस प्रवासके दौरान उनका मोरबीमेआना हुआ। यहाँ कई घर गिर दये थे,कई लोगों की जान भी गईथी और कंइ लोग घायलभी हुए थे। इस समय राहत कार्योंमे लगेकार्यकर्ताओके साथ मीलना, लोगोको सांत्वना देना और मार्गदर्शन करना हुआ। इस समय सब कार्यकर्ता को भोजन सब सामान्य पीड़ितलोगोके साथ था। मेरे अस्पताल के पास एक स्कूल के मैदान में भोजन व्यवस्था थी । भूकंप पीड़ितों के लिए जो भोजन तैयार किया गयाथा वह खीचड़ी और आलू की सब्जी थी लेकिन थोड़ी सी शेषाद्रीके परेजीके कारण उनके लिए अलग चावल, दाल और दही था।।सभीलोगोंको बनाइ खिचड़ी और आलू की सब्जी उन्होने देख ली जिसमें मिर्च और नमक अधिक था, किन्तु उन्होंने वह खिचड़ी सब्ज़ी भीमाँगी।अधिकारी को भी अन्य लोग क्या खा रहे हैं वह पता होना चाहीए। कितनी सरलता और सबके साथ सुखदुख में रहना औरएकताका भाव बनाना यह संदेश रहा।
एक बार जामनगर में जिले तक कार्यकर्ताओं की बैठक और वर्ग हुआ था ।एक कार्यकर्ता ने शेषाद्रीजीको सवाल किया किअधिकारी बननेके बाद मुख्य शिक्षक और कार्यवाह जैसा मैदानी कार्य की मजा नहीं आता । उन्होने कहाकी ने कहा कि मुख्य शिक्षक केको लिए गटनायक ,स्वंयसेवक अपने कामका व्याप है लेकिन उपरके अधिकारीके लिए काम का गट बदल जाता है , यह अनुभव हमाराभी है। लेकिन यह कार्य विभाजन है, स्वीकारना पड़ेगा। अपने उदाहरण और विचारसे सबका समाधान करना यह बात देखी गइ।
शेषाद्रीजी को शांत स्वभाव के गंभीर चेहरे से तो सभी ने देखा है लेकिन गुजरात मे 2001 की संघ शिक्षा ( नवसारी सुपा)वर्ग केसमापन बाद प्रबंधकोके साथ हंसते-हंसते चुटकुले सुनाकर सभी को चौंका दिया । मैं और हसमुखभाइ पटेलको वर्गके समापन समयप्रांत सहकार्यवाह का दायित्व घोषित कीया तो वो बोले भूकंपोंमे ज़्यादा काम करनेका यह परिणाम है ।
माननीय शेषाद्रीजी गुजरातमें भरूच की संघ शिक्षा वर्ग ( इस २०००) आयें थे। उन्होंने कहा आज मेरा जन्मदिन है और कल मैंमहाराष्ट्र के एक गाँव जा रहा हूँ। जहां मेरे जन्मदिन पर एक परिवार यज्ञ कर रहा है। कइ साल बाद उनसे मिलना होगा। भोजनके समयवर्ग सर्वाधिकारी ने सोंचा सब शिक्षार्थीओ को यह बताया जाय. । लेकिन जैसे अधिकारी सुचनाके लिए उठने लगे तो शेषाद्रीजीनेइशारेसे मना कर दिया । दोपहर के भोजन के बाद वो खुद वर्ग के अधिकारी से मिले और कहा कि मैंने आपको दोपहर के भोजन परअपने जन्मदिन की घोषणा करने से रोक दिया क्योंकि आज भोजनमे मिठाइ देने वाले थे और शिक्षार्थीओको लगेगा की जन्मदिन केकारण मिठाइ है।अधिकारी का जन्मदिन पर मिठाइ होनी चाहीए। उनमेसे कोइ भविष्यमे अधिकारी बनेंगे को यह सोच बन शक्ति है।छोटी बातों का भी क्या महत्व है अपने व्यवहारसे बताया । वंदन
—— डो जयंति भाडेसिआ
( मोरबी- गुजरात)
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