Saturday, November 11, 2017

स्व. नरेन्द्रभाइ पंचासरा ने श्रद्धांजली



गुजरात के वरिष्ठ और रुषि तुल्य प्रचारक  नरेन्द्रभाइ पंचासरा अब नहीं रहे कल सुरत मे उनका स्वर्गवास हुआ  अमरेली गाँव के निवासी१९४५ में संघ के संपर्क में आए हुए और १९६४ में संघ कार्य के लिए प्रचारक निकले पूणँ जीवन तपस्वी राष्ट्र आराधक रहे। जैसे हम संघ मे गीत गाते है की" संघ किरण घर घर देने को अगणित नंदा दीपा जले" । दाहोद से चला ये दीप कायँ पूरे गुजरात मे फैल गया ।अनेक दीपो जलाए खुद का अस्तित्व मिटा दिया   तपस्वी बनकर जीवन भर चल पड़े
        अपनी जीवन लीला पूरी कर दी बहुत अजात शत्रु  थे शरु से ही शरीर सामान्य लेकिन मन बहुत दृढ़ बड़ी उम्र में शरीर साथ नहीं देता था फिर भी संघ कार्य करते रहे जब जब हम मिलते थे तो उनकी बातों से पिता जैसा प्रेम और माता जैसा वात्सल्य हमें अनुभव आता था। हम कहते हैं कि कभी कभी देवदर्शन जाना चाहिए  उनको मालनी देव दशँन ही था । नरेंद्रभाइ को मील लीया तो काम के लिए पूरी प्रेरणास्त्रोत मील जाता था खुद तहेसील , ज़िला , विभाग प्रचारक रहे सह प्रांत प्रचारक गुजरात और व्यवस्था प्रमुख भी रहे। व्यवस्था की छोटी छोटी बातों को भी कैसा ध्यान रखना वो कोई सीखना चाहे तो उनसे सीखते थे स्वच्छता का माहोल , निर्मलता की बात छोटी छोटी प्रकाश की बत्तियों से लेकर धवनी वधँक को कैसे ठीक करना खुद करते थे ,आवास बनता तो खिड़कियाँ कहा रहनी चाहिए ,हवा के लीए खिड़कियाँ कैसे चाहिए , बैठने की जगह कैसी चाहिए , एकदम उनका गणित perfect था
        वो बता रहे थे गुरुजी का सानिध्य कई बार उनको मिला था गुरुजी के साथ चलने कैसा अनुभव रहता है हमें उनके बौधिक से सुना था भारत माता की जय के लिए पूरा शरीर संघ को समर्पित कर दीया उनका जीवन परचारक का था लेकिन कंइ परिवारों की मागँदशँक रहे अनेक परिवार उनसे सलाह मशवरा लेते थे संघ के स्वयंसेवक ही नहीं समाजसेवी भी उनसे इसी बात करने से हिचकिचाते नही थे। उनका चेहरा सदाय हँसता रहता था जब सूरत में जाते और कार्यालय में ठहरते हैं तो तुरंत हमारे स्वास्थ्य का, हमारे परिवार का,हमारी पूछपरछ उनका मुख्य विषय रहता था
       संघ के स्वयंसेवक  की चिंता करते थे दक्षिण गुजरात में काफ़ी समय रहें सूरत उनका केन्द्र रहा डो. अंबेडकर वनवासी कल्याण केंद्र बनाना और उनका दक्षिण गुजरात में वनवासी अंचलों में जो कायँ हुआ , उसमें काफ़ी उनका मार्गदर्शन रहा ऐसे नरेंद्रभाइ अभी नहीं रहे हैं , लेकिन वो नरेंद्रभाइन मोदी के भी मार्गदर्शक रहे।          

       छोटी छोटी बातों को कैसे ध्यान रखना , स्वच्छता का संदेश , व्यवस्था कौशल्या , हिसाब किताब की छोटी छोटी बातें ध्यान रखते ठीक करना और निर्मल मंद मंद हासय करते करते हैं सभी के साथ रहना यही जीवन रहा।उनकी प्रेरणा और मार्गदर्शन हमारे साथ क़ायम रहेगा उनकी आत्मा को शांति मीलें यह पराथँना वो वहाँ भी ठहरने वाले नहीं है जल्द ही भारत माता की पूजा के लिए वापिस जायेगे। एक बार संघ शिक्षा वर्ग में बात चलती थी तब वो बता रहे थे कि हम स्वयं सेवक प्रशिक्षण लेते हैं , तो विषय का सिफँ ज्ञान ही नहीं भारत माता की भक्ति बढनी चाहिए यही उनके जीवन का संदेश हमारे लिए है

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