Thursday, August 30, 2018

સ્વ. સંજય જમનભાઇ હીરાણી ને શાબ્દિક શ્રદ્ધાંજલી

મોરબી ના અગ્રગણ્ય સમાજસેવક અને સદ્દભાવના પરિવાર દ્વારા સદ્દભાવના ટ્રસ્ટ ની હોસ્પીટલ ના સ્થાપક ટ્રસ્ટી જમનભાઇ હીરાણી ના પુત્ર સંજયભાઇ આ ફાની દુનિયા છોડી પ્રભુ ના દરબાર મા પહોંચી ગયા.
બચપણથી જ સેવા અને ભગવાન ની ભકતિ નો વારસો મળેલો. શરુઆતની સદ્દભાવના પરિવાર ની રામને ભજી લો- ધૂન મંડળ ના કલાકાર ભક્ત તો ખરાજ. પ્રફુલ્લ ભાઇ મિસ્ત્રી ની સાથે ઢોલક વગાડવાના જોડીદાર હતા. કલાકાર સાથે સેવા કરવાની અને સંગીત નો સામાન લઇ જવા મૂકવાનું બધુ કામ કરે. અમે સદ્દભાવના હોસ્પીટલ ની ડો તખ્તસિંહજી રોડ પર શરુઆત કરેલ ત્યારે હોસ્પીટલ મા બધા કામ મા હાજરા હજૂર હોય. એક વખત ઓપરેશન મા મદદ કરનાર મદદનીશ નહોતો ત્યારે ગાઉન પહેરી એ ફરજ પણ નિભાવી .
સંઘના સ્વયંસેવક નો વારસો જમનભાઇ એ આપેલ. જડેશ્વર પ્રભાત શાખા મા આવે. બધાની સાથે મળતાવડો સ્વભાવ પણ ખરો.
સંઘના ગણવેશ મા સજ્જ થઇ મે મહીના ના મોરબીના સંઘ શિક્ષા વર્ગ વખતે નવા બસ સ્ટેશને ખડે પગે ઉભા રહી બહાર ગામ થી આવતા સ્વયંસેવકો નું માર્ગદર્શન કરેલ. નરસંગ ટેકરીમંદિરે સંઘ તરફથી સ્વાઇન ફલુના ઉકાળા વહેંચવામા પહોંચી જતા.
બધા ના ગેસ સ્ટવ ના તો તે ડોકટર . ફોન કરો ને હાજર. બધા ડોકટરો ના ઓટોકલેવ માટે વિશેષ ગેસ સ્ટવ પહોંચાડે.
ટૂંકી બિમારી મા બધાનો સાથ છોડી ને આગળ નીકળી ગયા. કહેવાય છે સારા માણસોની ભગવાન ને પણ જરુર પડે. ૐ શાંતિ

Thursday, August 23, 2018

अटलजी को श्रद्धांजली




(दिनांक २१.८.२०१८. गुजरात युनि. कनवेन्शन होल. कर्णावती)
अटलजी कि यहाँ श्रद्धांजलि सभा है यहाँ कई लोग उपस्थित हैं उनका नाम और दायित्व अलग अलग हो सकता है लेकिन सब के लिए कोई एक संबोधन मुझे करना है तो मैं कहूंगा यहाँ उपस्थित अटल प्रेमियों अटल जी के अटल प्रेमीओ। 
अब अटल एक नाम था , है और नाम रहेगा , लेकिन अब अटल विशेषण बन गया। 
अटल जी के लिए कोई विशेषण की ज़रूरत नहीं कोइ कहेंगे संघ के प्रचारक , पत्रकार ,विलक्षण राजनीतिज्ञ ,अच्छे वक्ता ,लेखक ,चिंतक ,वग़ैरह लेकिन अभी सिर्फ़ अटल काफ़ी है और यह अटल ऐसे दूसरे के गुणों के लिए अब विशेषण बन गया।
          अटलजी अपने अभ्यास काल में ग्वालियर से संघ से जुड़े संघ स्वयंसेवकों की आदर्श व्याख्या थे सभी पहलुओं जहाँ उपस्थित है वैसे थेअटल जी।
संघ की शाखा में अटल जी को जोड़ने वाले प्रचारक थे नारायण राव तार्ते। जिसको मामू जी के नाम से सब लोग बुलाते थे अटल जी का उनके साथ अतूट प्रेम रहा 2004 एक दिन रात को १० बजे नागपुर के महाल कार्यालय में PM हाउस से फ़ोन आता है मामूजी से बात करनी है , लेकिन मामूलीसो गए थे दूसरे दिन सुबह में PM हाउस से अटल जी ने बात की क्योंकि मामूजी का जन्मदिन था। कोई भी कार्यकर्ता की छोटी छोटी बात याद रखना वह उनका स्वभावथा
        प्रधानमंत्री बनने के बाद मामुजी को दिल्ली बुलाया तीन दिन साथ रहे , लेकिन यह तीन दिन में कौन सी बात हुई ? कोई सरकार की , सत्ता की , पक्ष की या विदेश नीति ! नहीं यह कोई बात नहीं है बात सिर्फ़ अपने पुराने दिनों की , पुराने मित्रों की ,पुराने स्वयं सेवकों की ,संघ की और प्रत्चारको की।अटल जी कहते थे संघ मेरा आत्मा है।
        अटल जी कौन थे ? जब सत्ता या विचारधारा के बीच क्या चुनना ये नोबत आयी तो सत्ता को छोड़कर विचारधारा के साथ जुड़े रहे संघ की सदस्यता के कारण सभी राजकीय सत्ता के साधन छोड़ के संघ की विचारधारा के साथ जुड़ा रहना यह परम तत्व के उपासक रहे। 
     राजकीय क्षेत्र में कितनी स्वच्छता रखनी चाहिए इसके लिए अटलजी के सिवा और कौन बड़ा उदाहरण हो सकता है
      अटल जी हँसी मज़ाक भी अच्छी कर लेते थे एक बार लताजी को मिले तो कहा तुम्हारे और हमारे नाम में काफ़ी साम्यता है लता जी ने बोला कैसे ? उन्होंने कहा लता जी आपके नामके अंग्रेज़ी मूलाक्षरो को उल्टा कर दीजिए तो अटल हो जाता है। 
      अटल जी भाषण सुनने के लिए बचपन में उनकी ऑडियो कैसेट लेके सभी मित्र रात को घर की टेरेस पर एक छोटे से टेप में सुनते थे। 
      विद्वेष की विभीषिका पर खड़ी हुई अटल जी की कविता याने की कच्छ भुज में बनी सरकारी अस्पताल 2001 की कच्छ के भूकंप के बाद अटल जी का गुजरात आना , गुजरात को भूकंप में सहायता करना और कच्छ को फिर से ठीक करने के लिए उनकी सहाय प्रशंसनीय है।
      2007 की नागपुर की पूजनीय गुरु जी की जन्म शताब्दी के शुभारंभ के अवसर पर वो बोलने के लिए खड़े हुए कहा मैं एक कविता बताऊँगा। लेकिन भावावेश में गुरु जी के साथ बीते बातें करने लगे फिर सुदर्शन जी को याद कराना पड़ा कि आप कुछ कविता कहने वाले थे। 
     गुजरात में दाल हो , सब्ज़ी हो या चटनी सभी जगह गुड तो रहता ही है , इसलिए एक बार सोमनाथ में अटल जी ने खाने के वक़्त कहा गुजरात की चीज़ें और गुजरात के लोग बहोत मीठे हैं। 
     अटलजी अब हमारे साथ नहीं हैं लेकिन यह क्या ज़रूरी है ! राजकोट में गुजरात प्रान्त के पूर्व संघचालक पप्पाजीकी श्रद्धांजलि सभा मे श्रीपति शास्त्री ने कहा था रविंद्रनाथ अपनी कविता में बताते थे कि जब सूर्य को संध्या के समय जाने का वक़्त हो गया तब वह चिंता करने लगा कि अब रात होगी अंधेरा होगा दुनिया का प्रकाश और सबका मार्गदर्शन कौन करेगा तब छोटे से कोने में बैठे एक दीपक ने कहा मैं आपके जैसा तो नहीं लेकिन जितना हो सके उतना थोड़ा सा प्रकाश मैं अवश्य करुगा।  अटलजी जैसे सूर्य सामान प्रभावी सब नहीं हो सकते लेकिन उनके प्रेरक गुणों को लेकर यहाँ एक छोटा दीपक हम नहीं बन सकते ? मैं सोचता हूँ ऐसा छोटे दीपक बनना यही हमारे लिए अटलजी की श्रद्धांजली है