Sunday, August 5, 2018

अखंड भारत के एक हिस्से मे रहने वाले हिन्दु ओ का भारत मे पुनर्वसन

आज मोरबी के स्थान पर भारत के पड़ोसी देशों से आये और बसे हुए हिंदू परिवार की ओर से सरकार का हकारात्मक रवैया और उन्हें भारत में रहने की दी गई सुविधाओं की आदर स्वीकार करते सरकार और उनकी नीतियों का अभिवादन करने का कार्यक्रम त्रीमंदिर में सम्पन्न हुआ था इस कार्यक्रम में अध्यक्ष के नाते गुजरात राज्य के मंत्रिमंडल के सदस्य वासणभाइ आहीर थे। कच्छ के सांसद विनोद जी चावड़ा और राजकोट के सांसद मोहनभाइ कुडारीया के अलावा कई राजनीतिज्ञों और समाजसेवी व्यक्ति हाज़िर रहे। 
        भारत की पुरानी संसकृति में हमने विश्व में पीड़ित परिवारों और समाज को सहारा दिया है स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में 1893 में विश्वधर्म परिषद में बताया था मै ऐसे देश में से आता हूँ की जीस देशने यहूदियों और पारसियों सहित अनेक पीड़ित समाज को आसरा दिया है। द्वितीय विश्व युद्ध में पोलैंड के बेसहारा १२०० से ज़्यादा बच्चों को अपनी राज्य में रखकर उनकी पिता की तरह देखभाल और शिक्षा दीक्षा की व्यवस्था जामनगर के राजा ने की थी। इसलिए जामनगर के बारे में कहा जाता है ये हैं लिटल पोलैंड इन इंडिया।
        अन्य धर्मावलंबियों को भी आसरा देने वाला यह देश अगर पड़ोसी देशों से आए हुए हमारे हिन्दू बंधुओं को आसरा दे तो ये कुछ नई बात नहीं है यह कोइ  पाकिस्तान से आए हुए नहीं है लेकिन हमारे अखंड भारत के परिवारजन ही है हम उसे शरणार्थी भी नहीं कहेगे, क्योंकि वो बिखरे हुए हमारे परिवार के ही सदस्य हैं उन लोगों को बसाना यह सिर्फ सरकार का ही नही है , लेकिन पूरे भारतीय समाज का अपना कर्तव्य है। 
        राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रेरित सीमा जागरण मंच की ओर से पहले सीमा से दूर रहते हुए भारतीय समाज के कई युवाओं को सरहद पर ले जाकर "सरहद को प्रणाम "कार्यक्रम किया था सरहद- सीमा को जानना सीमा पर बसे हुए लोगों को मिलना , उनकी समस्याओं के समाधान में अन्य भारतीय समाज का योगदान हो, यह से लेकर यह कार्यक्रम के अंत में इससे पहली वाली सरकार के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति कोआवेदन पत्र दिया गया था जिसमें ज़िक्र किया गया था की पड़ोसी देशों में आए हुए हिंदुओं को कायदेसर बसाया  जाए लेकिन कुछ नहीं हुआ नई सरकार ने यह काम किया और लोगों को बसाया, यह एक अच्छी ही कार्य की निशानी है। 
       यहाँ नए आए हुए परिवारों को एक बिनती है कि वो यहाँ रही इस राष्ट्र की राष्ट्रीयता को और सुरक्षा बनाए रखने में उनका बड़ा महत्व का योगदान हो, कच्छ की नीरोणा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा की उपस्थिति से वहाँ कई लोगों ने मदरसा बनाने का जो विचार छोड़ दिया ऐसे ही जागरित केंद्र में सम्मिलित हो यह अपेक्षा है। 
     जहाँ जाए वहाँ देश की सेवा और सुरक्षा के साथ उनका योगदान हो उत्तरकाशी में मनेली  में चलती विद्या भारती की एक विद्यार्थी जब शिक्षक बना और नौकरी की बारी आयी तो अपने आप कश्मीर की पूंच मे अपनी नौकरी की माँग की ऐसे सरहदों की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है। 
     बाक़ी बचे हुए प्रश्नों का भी तुरंत हल हो इसलिए राजनीतिज्ञ लोग मदद करे और अन्य भारतीय परिवार आए हुए बाहर से हमारी ही बंधुओं को दूध में साकर तरह मिलाने के साथ ले , यही अभ्यर्थना है













Sent from my iPhone

No comments:

Post a Comment