Sunday, September 18, 2022

स्वच्छ सागर सुरक्षित सागर

स्वच्छ सागर सुरक्षित सागर
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17 सितंबर का दिन पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय समुद्र स्वच्छता दिन के लिए मनाया जाता है 

International ocean cleaning day
हमारे शास्त्रों में बताया है 
"समुद्र वसने देवी 
पर्वत और स्तन मंडले
विष्णु पत्नी नमस्तुभयम 
पादम स्पर्सम क्षमस्वमे"
       आज पूरे विश्व पर विविध प्रकार के संकट छाए हुए हैं ।उसमें से एक बड़ा संकट है पर्यावरण के प्रदूषण का ।हम मानवीय सृष्टि अगर प्रकृति के साथ संतुलन  नहीं रखते तो आने वाले समय में प्रकृति का जो नुकसान होगा उनका जिम्मेदार स्वयम मानवी होगा ,इतना ही नहीं मानवी का अस्तित्व भी प्रकृति के अस्तित्व पर आधार रखता है ।हमारे यहां बताया जाता है व्यष्टि से समष्टि तक का संतुलन आवश्यक है ।विज्ञान के चलते ,बढ़ते उद्योगों के चलते और मनुष्य की स्वार्थी भावनाओं के चलते पर्यावरण का बड़ा नुकसान हुआ है ।उसमें से एक है समुद्र में आया हुआ प्रदूषण। 
      समुद्र का पानी आज विविध प्रकार के प्रदूषण से ग्रस्त है ।उसमें से एक बड़ा प्रदूषण है प्लास्टिक का ।विविध प्रकार के प्लास्टिक के उपयोग में लाए जाने वाली चीजें उनके उपयोग के बाद जो इधर उधर फेंकी जाती है ,वह चलती चलती समुद्र में आती है ।कहा जाता है कि प्लास्टिक का कुछ छोटा छोटा भाग हो सकता है ।लेकिन वह मिट नहीं सकता ।अंतिम भाग को हम माइक्रोप्लास्टिक कहते हैं ।यह माइक्रोप्लास्टिक का कभी नाश नहीं होता ।वह समुद्र के पानी ,समुद्र में रही बनस्पति ,जीव विविधता , मछलियां और समुद्र के पानी से बनता हुआ नमक को प्रदूषित करके न सिर्फ जैव विविधता और वनस्पतियों को नुकसान करता है लेकिन मनुष्य के शरीर मे जाकर वहाँ सभी अंगको भी नुकसान करता है ।और कैंसर जैसे अनेक महा रोग उत्पन्न करता है।
     आज के समय में यह प्लास्टिक का गार्बेज एक बड़ा पडकार है ।हम एक-एक पल पर प्लास्टिक के बिना नहीं जीते ।चाहे वह दूध , दहीं,चाय  या सब्जी लानी हो प्लास्टिक हील यूज होती है ।यह जब शहर ,गांव में इधर उधर फेंकी जाती है तो वह चलती हुई पानी के झरणोसे नदियों से चला वह से समुद्र की ओर जाती है ।भारत का समुद्र किनारा 7500 किलोमीटर लंबा है ।यह प्रदूषण इतना बढता जाता है कि कुछ समय बाद कहा जाता है कि समुद्र में मछलियों की जगह प्लास्टिक ही रहेगा।
        पूरे विश्व में 17 सितंबर को विश्व समुद्र सफाई दिन मनाया जाता है ।भारत में स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव को लेकर 5 जुलाई से 75 दिन तक यह अभियान चल रहा है ।आज के अभियान का अंतिम दिन है । हमारे लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी का जन्मदिन भी है ,विश्वकर्मा दिन की है। 
        आज के दिन केंद्र सरकार ,राज्य सरकार, वन विभाग ,एनर्जी कमिशन ,पर्यावरण विभाग ,सीमा जन कल्याण समिति ,सागर भारती ,राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर्यावरण गतिविधि और स्थानीय सामाजिक और शैक्षणिक संस्थाओं को साथ लेकर आज समुद्र की सफाई का काम हाथमे लिया है।
         यह एक दिन का काम नहीं है ।हमारे पूरे जीवन में पर्यावरण की यानी कि आज के विषय को लेकर समुद्र की सफाई का महत्व रहना चाहिए ।हमारा जीवन तभी संभव  है जब हम पंचतत्व सृष्टि के साथ संतुलन में रहे ।हमारा सृष्टि के साथ अविभक्त संबंध है ।हम प्रकृति का दोहन करें शोषण नहीं। 
        आने वाले समय में प्लास्टिक का उपयोग कम से कम करना चाहिए ।सिंगल यूज प्लास्टिक तो बंद ही करना चाहिए ।आज रोज 50 करोड़ प्लास्टिक की थैलियां बन रही है ।कभी-कभी रास्ते में घूमते हुए गाय बगैरा पशु उनको खाकर मृत्यु के शरण होती है ।इतना ही नहीं पूरे जीव सृष्टि को उनका नुकसान हो रहा है ।सागर सफाई अभियान अंतर्गत आज हम सागर का किनारा स्वच्छ किया है ।साथ-साथ शहरों के रास्तों में भी यह सब कूड़ा कचरा प्लास्टिक को निकालने के लिए एकत्रित हुए हैं ।पूरे देश में समुद्र की सफाई आज सागर भारती संस्था के द्वारा हो रही है यह सिर्फ एक संस्था का काम न बनकर समग्र समाज का बनना चाहिए।
      समुद्र की सफाई के लिए आधुनिक मशीनें बनी हुई है सिबिन , ओशन क्रेटर,  इंटरसेप्टर ,  गारबेज पेच वि। पर लेकिन यह सब मशीनें बहुत महंगी रहती है ।और सभी जगह इनका उपयोग संभव भी नहीं है ।हमारे यहां कहा जाता है अपने हाथ जगन्नाथ ।पूरे विश्व को सुखी समृद्ध और प्रकृति के साथ जीने वाला जीवन का संदेश देने के लिए नियति ने हमें काम दिया है । यह पूर्ण करें और भारत हर विषय में विश्व गुरू हो। यह बनाने का मौका मिला है उनके लिए हम अपने आप को ठीक करें यही एक अभ्यर्थना है।







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